सत्येनोत्पद्यते धर्मो दयादानेन वर्धते। क्षमायां स्थाप्यते धर्मो क्रोधलोभा द्विनश्यति॥ धर्म सत्य से उत्पन्न होता है, दया और दान से बढता है, क्षमा से स्थिर होता है, और क्रोध एवं लोभ से नष्ट होता है। Religion originates from truth, grows from kindness & destroyed by anger & greed.
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