भोजपुरी गानों ने जितने सांसद दिए हैं उतने हिंदी गानों ने नहीं। भोजपुरी इलाक़ों की जनता ग़रीब है। मज़दूर है। उसके इलाक़ों के स्कूल कॉलेज कबाड़ हैं। मनोरंजन के लिए पैसे नहीं है। सिंगल सिनेमा हॉल ख़त्म हो गए। नेटफ्लिक्स देखने की औक़ात नहीं है। नेट बचाता है और गाने देखकर दिल बहलाता है। इन गानों की लोकप्रियता ने कई लोगों को स्टार बनाया और कबाड़ को ही सुनने वालों की पसंद बना दिया। लोग उसी में टेस्ट लेने लगे। भोजपुरी क्षेत्रों के लोगों के लिए कोई भी स्थायी शहर नहीं है। उन्हें आज न कल कहीं भागकर जाना होता है। साथ जाती है भोजपुरी और उसके गाने। सूरत से लेकर दिल्ली तक के जिन बंद कमरों में लेबर क्लास रहता है, वहाँ इन गानों के ज़रिए सपने पैदा किए जाते हैं। कम मज़दूरी के कारण वह जीवन में कुछ हासिल नहीं कर पाता है, बस सपना देखता है बंगाल की माल का और लंदन की लवंडिया का। भोजपुरी के ये गायक लड़कियों के देह का वर्णन ऐसे करते हैं ताकि सुनने वाले को लगे कि विकास का मतलब बेहतर जीवन पाना नहीं है। लंदन की लवंडिया का देह पाना है। वैसे भारत अकेला देश है, जहां नारी की पूजा होती है। बंगाल की माल और लवंडिया लंदन की उसी पूजा के पूजनीय मंत्र हैं। पता नहीं बाक़ी दुनिया की नारियाँ कैसे जीती हैं, उनकी पूजा भी नहीं होती। अभागन हैं। दूसरी तरफ़, इन गानों ने भोजपुरी समाज की लड़कियों और औरतों को सामाजिक और राजनीतिक चेतना में जिस तरह से स्थापित किया है, वह शर्मनाक है। हिन्दी फ़िल्मों के आइटम सॉन्ग के प्रभाव से अलग इनका विश्लेषण होनी चाहिए। भोजपुरी में लड़की क़ब्ज़ा करने और उठा लाने की वस्तु बनती है। उनका कोई वजूद नहीं। माँग से लेकर नाक तक सिंदूर की रेखाएँ उनके जीने की अंतिम मंज़िल है। स्त्री और पुरुष दोनों एक दूसरे की ग़रीबी के चक्र में फँसते हैं। लिपटते हैं। इन गानों में दोनों के लिए एक ऐसे वर्तमान का सृजन किया जाता है, जहां वह साँस ले सके । लेकिन उसके भीतर गाँव और अतीत की स्मृतियाँ छटपटाती रहती हैं। छठ और होली में वह ख़ुद को रोक नहीं पाता है। अपने को सामान की तरह कस लेता है। ख़ुद को बोरे में डाल घटिया रेल गाड़ियों की सेलुलर जेल सरीखे कोच में फेंक देता है। मरने से बच गया तो घर पहुँच जाता है। उसके लिए कुछ भी नया और उत्साहजनक होने की जगह लड़की का शरीर है। उसे पता है कि वंदे भारत उसके लिए नहीं है। बुलेट ट्रेन तो भूल ही जाए। आप इन गानों के सुन नहीं सकते न देख सकते हैं मगर ये लोकप्रिय तो हैं। इन गानों की फ़ैक्ट्री में लड़के जो बन रहे हैं सो बन रहे हैं मगर फ़ैक्ट्री चलाने वाले गायक सांसद बन रहे हैं। ये गाने न हों, धर्म और कर्मकांड न हो और दहेज न हो तो भोजपुरी समाज घंटे भर में अपने जीने से लेकर होने तक का अर्थ गँवा देगा। यू ट्यूब पर मेरा एक भोजपुरी चैनल है, जिसका नाम बिहान है। उसके लिए हाल ही में एक कमेंट्री की थी। आप जानते हैं भोजपुरी मेरी मातृभाषा है। youtu.be/0fEzgNVrCxk?si…
@ravishndtv Bilkul sahi. Rinkiya ke papa sabse jyada famous huye. Hain na? Thoda dirty lyrics hote hain Bhojpuri gane mein.