@iTanwirr Ek jaan aur laakh ghum, ghut ke reh jaye naa dum, aao tumko dekh lein, doobti nazron se him
@iTanwirr हर किसी का जीवन आनंदमयी नहीं होता साहब.. कभी-कभी ज़िम्मेदारियों का बोझ उठाते-उठाते इंसान की कमर टूट जाती है!
@iTanwirr जिम्मेदारियों के बोझ तले आम आदमी (पर केजरी वाली आप पार्टी के आम आदमी जैसा नहीं)
@iTanwirr ज़िंदगी इल्तिज़ा तुझ से के रहम कर हम्ल से तेरे अब झुक गयी है क़मर * हम्ल : वज़न,भार,बोझ ~ दिलीप जोशी 'दीवाना' @Medilipjoshi
@iTanwirr ढोता रहता रात दिन,भारी भरकम भार जिससे हो परिवार में,खुशियों का संसार।। ✍️प्रदीप चौहान'दीप'
@iTanwirr इस कदर जिंदगी से हारे हुए है... जिंदगी के ही बोझ से मारे हुए है...
@iTanwirr लड़खड़ा रहे हैं पैर इनके गिर कर भी संभल जाएगा। करे न दो दो हाथ बोझ से गर,बच्चों को भूख निगल जाएगा।
@iTanwirr ये मेरा परिवार है मेरा ही संसार है.. दिखता है बोझ तो है पर इसको ढोना मेरा फर्ज है यही संसार यही बस सार है
@iTanwirr पीठ दोहरी हुई बोझ बढ़ता गया धैर्य सहनशक्ति की परीक्षा हुई