Ayaz @haan1_tr

ज़िंदगी की बेपनाही का मुतालबा क्या करे। चिलचिलाती धूप में ज़ुल्फ़ों का साया क्या करे ॥ हर सहारा बेअमल के वास्ते बेकार है । आँख ही कोई ना खोले तो उजाला क्या करे॥ Joined December 2011
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