'उसके' लौट 'आने' का 'यकीं' आज 'भी' है मुझे, 'यूँ' ही 'नहीं' खुले 'रखे' है 'दरवाजे' मैंने , जिन 'दरवाजों' से 'होकर' चली 'गयी' थी वो | "अनंत "
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