मुख्तार अंसारी, देवता स्वरूप आदमी थे। वे ब्रिगेडियर उस्मान के नवासे थे, जिनको पाकिस्तान ने सेनाध्यक्ष बनाने का वादा किया था, पर गए नही। मुख्तार रॉबिनहुड थे, किसकी शादी में मदद की, किसकी पढ़ाई में, और भी जमाने भर के पुण्याई के काम किये। ऐसी पोस्ट दिख रही है। दूसरी ओर से बताया जा रहा है कि मुख्तार अंसारी क्रिमिनल थे, गैंगस्टर थे, एक्सटॉर्शनिस्ट, हथियारों के सौदागर, बाहुबली बसपाई, हत्यारे थे। कौन दरोगा उनको पकड़ लिया था, तो मुलायम सिंह बचा लिए थे। एक ठो राय साहब ( जो खुदई डॉन थे) उनकी कैसे खूनाख़ून हत्या करवाये.. वगैरह वगैरह दोनो तरफ से इस तरह के अखंड मूर्खता भरे किस्से देख रहा हूँ। जो सुनाकर, आपका असल ईशु से ध्यान हटाया जाता है। ●● मुख्तार अंसारी, बेसिकली एक अंडर ट्रायल मुलजिम था, उसे सत्ताधारी शक्तियों से अपनी जान का अंदेशा था। यह बात उसने लिखित में कोर्ट में दी थी। उसके हफ्ते दस दिन बाद जेल में वास्तविक मौत हो गयी। ●● किसी भी मुलजिम- डॉन हो, या देवता, उसकी जेल या हिरासत में मौत, ये सत्ता पर धब्बा है। पॉवर एब्यूज है। इसलिए मृतक के बैकग्राउंड या जघन्यता की बहस से ऊपर, असल चीज देखने की जरूरत है। यह समझने की जरूरत है, कि ये आग आपके दामन तक कैसे पहुचने वाली है। ●● दो चरण में पहुचेगी, जिसमे पहला चरण पूर्ण हो चुका। पहला कदम, याने लोकशाही का खात्मा हो चुका है। याने, अब सरकार आप बदल नही सकते। नेता और राज, अब राजा की कृपा से चलना है। उनको इलेक्टोरल प्रोसेस से उखाड़ फेंकने, नियंत्रित रखने, या स्क्रूटनी करने की व्यवस्था की जिस क्षमता को हम लोकशाही कहते है- खत्म है। तो अब, इसके बाद, सीधा सपाट, दूसरा चरण सिविल लिबर्टीज पर डाका डालना होता है। ●● याने अगर तुम अगर दुकानदार हो, सौदा सुलफ बेचो। डॉक्टर हो, दवा सूजी लगाओ। जमादार हो, नाली साफ करो। अपना काम करो तुम। देश कैसे चलेगा, कौन चलाएगा, इस ओर सोचना बोलना, तुम्हारा काम नही। हम चलाएंगे। तुम, दो कौड़ी का प्राणी, ज्यादा बोलोगे, लड़ोगे, डिस्टर्ब करोगे, तो धारा बहुत सारी है कानून में, कोई भी लगा देंगे। फिर एक बार हिरासत में आये.. इसके तो जिंदा बाहर आना, न आना, कोई तुम्हारा अधिकार नही। तमाम मुठभेड़ें, कस्टोडियल डैथ के उदाहरण याद रखो। पुलिस हिरासत, न्यायिक अभिरक्षा में लाइव टीवी पर, कोई सिर पे गोली मार जाएगा। जेल में मरे, तो पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह यह नही लिखा होगा, कि आदमी इलाज के अभाव में मरा। वह तो फ़ूड पॉइजनिंग, बीपी, शुगर, हार्ट अटैक हो जाने से मरता है। तुम्हारी भी कोई बीमारी लिख दी जाएगी। ●● सो किसी मुलजिम का देवता या क्रिमिनल होना न होना, बहस का मुद्दा नही होना चाहिए। प्रश्न, किसी की कस्टोडियल डैथ है। जो अब आपके सर पर मंडरा रही है।
@RebornManish Wish tumhe bhi aise kisi devta jaise admi ke darshan ho pant me mut doge phir
और हिरासत मैं क्यों आएगा कोई आम आदमी ? और क्या इसका मतलब है देश के जेल ख़ाली हो गये क्योंकि तेरे हिसाब से तो सत्ताधारी पार्टी सारे क़ैदियों लो मार देने वाली है ,कितनी कस्टोडियल डेथ हुई हैं पिछले १० साल मैं aur कितनी हुई thi उसके पहले ? सारा दर्द इस एक कस्टोडियल डेथ पर क्यों चालक रहा है ? क्या ये कोई महात्मा था ? तुमाहरे जैसे पैसिव न्यूट्रल साउंडिंग कांग्रेसी को janta खूब समझती है
@RebornManish हर व्यक्ति के जिन्दगी के दो पहलू होते है कुछ के लिए वह अच्छा इंसान होगा कुछ के लिए वही बुरा
@RebornManish सरकार हम चलाएंगे। तुम, दो कौड़ी का प्राणी, ज्यादा बोलोगे, लड़ोगे, डिस्टर्ब करोगे, तो धारा बहुत सारी है कानून में, कोई भी लगा देंगे। आज देश की परिस्थिति यही है । गूंगे बहरे बन कर रहो ।
@RebornManish सीधा सीधा बोलिये लोकसभा चुनाव है, लोगों को भाजपा ने बता रखा है की अगर विपक्ष के घर में एक मक्खी भी मार दिया जाये तो श्रेय भाजपा को जाएगा। बस मदारियों के पास इस चुनाव में भूनाने के लिए कुछ है नहीं तो ,यही सब का आन्तरिक क्रेडिट लेता रहेगा।
जेल में मरे, तो पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह यह नही लिखा होगा, कि आदमी इलाज के अभाव में मरा। वह तो फ़ूड पॉइजनिंग, बीपी, शुगर, हार्ट अटैक हो जाने से मरता है। तुम्हारी भी कोई बीमारी लिख दी जाएगी। ●● सो किसी मुलजिम का देवता या क्रिमिनल होना न होना, बहस का मुद्दा नही होना चाहिए। प्रश्न, किसी की कस्टोडियल डैथ है। जो अब आपके सर पर मंडरा रही है।