होली की सुबह.. नशे में टुन्न सावरकरवादी को, गांधीवादी ने, गटर से उठाकर घर ले जाकर छोड़ा। पर बात फैल गयी। मोहल्ले में लोग मजाक उड़ाने लगे। बड़ी हेठी हुई। तो सावरकरवादी ने जुगत लगाई। मोहल्ले भर में घूम घूमकर सबको कहने लगा- होली के दिन से मेरी एक टांग की चप्पल गायब है। ●● अब मोहल्ला, सावरकर वादी के नेतृत्व में गांधीवादी से, उस एक मिसिंग चप्पल का हिसाब मांग रहा है।
@RebornManish भला हो उसका जो चप्पल ही गायब बतायी अपना पव्वा भी गायब बता सकता था.
@RebornManish सावरकर वादी के नेतृत्व में गांधीवादी से, उस एक मिसिंग चप्पल का हिसाब मांग रहा है।
होली की सुबह.. नशे में टुन्न सावरकरवादी को, गांधीवादी ने, गटर से उठाकर घर ले जाकर छोड़ा। पर बात फैल गयी। मोहल्ले में लोग मजाक उड़ाने लगे। बड़ी हेठी हुई। तो सावरकरवादी ने जुगत लगाई। मोहल्ले भर में घूम घूमकर सबको कहने लगा- होली के दिन से मेरी एक टांग की चप्पल गायब है। ●● अब मोहल्ला, सावरकर वादी के नेतृत्व में गांधीवादी से, उस एक मिसिंग चप्पल का हिसाब मांग रहा है।
@RebornManish सावरकर का बढ़िया चरित्र चित्रण करते हैं आप मैं आपका फैन हो गया