होली लूट का मैदान है फागून का महीना है हरे फसल है खेत में गदहे चर रहे हैं। ऐसी भूख की पिसास है,कि कितना भी खा ले भले पेट उसके न भर रहें है। आगे खड़ी वैशाख पानी बिन मर रहें है। लूट का मैदान गदहे चर रहें है।
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