@INCIndia Cong playing in front foot. Also please distribute this in print in every language across India.
भाजपा का 'संकल्प पत्र' Vs CONग्रेस का 'अन्याय पत्र'👇🏻👇🏻👇🏻 कांग्रेस १९४७ की ओर देखता है और भाजपा २०४७ की तरफ़ आगे देखता हैं कांग्रेस लोगों को धर्म और जाति के नाम से बांटना चाहता हैं, और मोदीजी सिर्फ़ ४ जातियों में विश्वास करते हैं - ग़रीब, किसान, महिला और युवा तभी तो सब #मोदी_की_गारंटी पर विश्वास करते हैं #ModiKiGuarantee
@INCIndia किसका घोषणा पत्र जुमला हैं और कौन सबका साथ सबका विकास चाहता हैं ये इससे पता चलता हैं👇🏻👇🏻👇🏻 भारतीयों को विश्वास हैं सिर्फ़ #ModiKiGuarantee पर 🔥🔥
@INCIndia तू झूठ बोलता है x.com/incbansal/stat…
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@INCIndia अबकी बार 400 पार नहीं राहुल सरकार x.com/incbansal/stat…
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भ्रष्ट काँग्रेस/राज़द/सपा केवल नौकरी दिलाने वाला एजेंट बनेगा। भारतीय जानता पार्टी रोजगार देनेवाला आपका परिवार बनेगा। जो गरज़ते हैं, वो बरसते नहीं! इसीलिए काँग्रेस से उम्मीद जनता करती नहीं। मनमौजी नहीं, कामकाजी बनो, देश को आगे बढ़ानेवाले फौजी बनो। कामचोर नहीं, काबिल बनो, भ्रष्ट काँग्रेस नहीं, सशक्त भाजपा चुनो। काबिल के लिए रोजगार हैं, कामचोर ही केवल बेरोजगार हैं। स्वयं रोजगार से भी आत्मनिर्भर बन सकता हैं! कर्मठ को नौकरी देने के लायक बन सकता हैं।
एक रेस्टोरेंट की कथा ------------ एक बहुत ही प्रसिद्ध और बड़ा सा रेस्टोरेंट था उस रेस्टोरेंट में भिन्न प्रकार की थालियों की व्यवस्था थी जिनमें भिन्न प्रकार के व्यंजनों का जमघट था। हर प्रकार की थालियां अलग अलग आय वर्ग के लोगों के हिसाब से था। रेस्टोरेन्ट चलाने वाले का मूल कर्तव्य निस्वार्थ भाव से रेस्टोरेंट चलाना होता था और हर वर्ग की थाली में व्यंजनों की गुणवत्ता बढ़े इसकी चेष्टा करनी होती थी। उसे रेस्टोरेंट को कई पीढ़ी से एक सेठ चलाते थे, लंबे समय तक चलाते चलाते उस सेठ का परिवार उस रेस्टोरेंट को अपना समझने लगा था सेठ के परिवार को लगता था कि वह रेस्टोरेंट को जैसे चाहे वैसे चलाएगा और रेस्टोरेंट के सुविधा का उपयोग करने वाले व्यक्ति वहां पर काम करने वाले व्यक्ति उसका कभी विरोध नहीं करेंगे। काफी समय तक ऐसा होता भी रहा उसे रेस्टोरेंट को चलाने की प्रक्रिया में एक बहुत ही रुचि पूर्ण व्यवस्था थी वह यह की हर 5 साल पर उसे रेस्टोरेंट को कौन चलाएगा इसका चुनाव रेस्टोरेंट की सुविधा उपयोग करने वाले लोग और रेस्टोरेंट में काम करने वाले लोग तय करते थे। धीरे-धीरे सेठ की इच्छा बढ़ने लगी और वह अपनी आमदनी बढ़ाने की सोचने लगा और इसी क्रम में और रेस्टोरेंट में सुविधाओं को कम करने का काम करने लगा और उसे कमी के बदले खुद के लिए पैसे बनाने में लग गया पर उसके इस व्यवहार से लोगों की दिक्कतें बढ़ने लगी। लोग भी रेस्टोरेंट में दिए वाले सुविधाओं पर प्रश्न करते थे पर उनको सेठ इधर उधर की बातें करके समझा देता था। धीरे-धीरे रेस्टोरेंट की सुविधाओं का उपभोग करने वाले और रेस्टोरेंट में काम करने वाले जितने कामगार थे वह सेठ के स्वार्थ और अनैतिक लूट के वजह से परेशान होने लगे धीरे-धीरे उनके मन में उनके विरुद्ध भावनाएं भड़कने लगी और वह अगले चुनाव का इंतजार करने लगे। फिर वह दिन भी आया जब चुनाव हुई और एक नए सेठ उस रेस्टोरेंट की बागडोर संभालने के लिए आगे आ गया। लोगों ने बहुत ही मजबूत तरीके से नए मालिक को विजेता बनाया। इस नए सेठ ने रेस्टोरेंट का कायाकल्प करने की ठान ली। उसने देखा कि रेस्टोरेंट के पास काफी खाली जगह है जिसका इस्तेमाल किया जा सकता है उसने यह भी देखा कि अगर ईमानदारी से रेस्टोरेंट को चलाया जाए तो यहां जो लोगों को सुविधा दी जा रही है वह और बेहतर की जा सकती है इस नए सेठ ने अपने ही रेस्टोरेंट के कुछ कामगारों की मदद लेकर उनकी राय मशवरे करके रेस्टोरेंट को और विकसित करने की योजना बनाने लगा। धीरे-धीरे वह इन योजनाओं पर काम करके सफल होना शुरू कर दिया रेस्टोरेंट में सुविधाओं की बढ़ोतरी हुई रेस्टोरेंट की आमदनी भी बढ़ने लगी रेस्टोरेंट में काम करने वाले लोगों के जीवन स्तर में भी सुधार होने लगा सभी चीज बदला बदला सा लग रहा था और बदलाव काफी पॉजिटिव तरीके से चल रहा था। नए सेठ ने बाहर के कामगारों को भी बुलाना शुरू किया चुकी रेस्टोरेंट में काफी खाली जगह बची हुई थी बाहर के कामगार उसे जगह पर आकर अपने व्यंजन और पकवान बनाने लगे उन व्यंजन और पकवानों को वह इन रेस्टोरेंट में भी भेजता था और फिर बाहर वह जहां से आए थे वहां के बाजारों में भी भेजता था इस रेस्टोरेंट का भी फायदा होने लगा और उन कामगारों का भी फायदा होने लगा। बाहर के कारीगरों के काम में रेस्टोरेंट के जो अपने कारीगर थे जो कभी-कभी फ्री बैठे रहते थे वह भी काम करने लगे इससे उनकी आमदनी भी बढ़ने लगी हर तरह से बदलाव बहुत अच्छा चल रहा था। रेस्टोरेंट के कामगारों और रेस्टोरेंट के सुविधा लेने वाले लोगों के बीच में नए सेठ की लोकप्रियता बढ़ती जा रही थी नए सेठ में उन्हें एक ईमानदार व्यक्ति की छवि दिखाने लगी थी और उन्हें लगने लगा था कि अगर इसी तरह से यह रेस्टोरेंट चलते रहा तो बहुत जल्दी काफी तरक्की की जाएगी कामगारों को भी बहुत फायदा होगा और सुविधाओं को भी बहुत बढ़ाया जा सकेगा। अगले चुनाव में नए सेठ को और अधिक समर्थन मिला और ये फिर मजबूती से रेस्टोरेंट चलाने लगे। इस बार नए सेठ ने इस रेस्टोरेंट का कोलेबोरेशन दूसरे रेस्टोरेंट से भी करने लगा। इस रेस्टोरेंट के बने व्यंजनों को दूसरे रेस्टोरेंट में भी बेचना सुलभ हो गया। इस रेस्टोरेंट के बने व्यंजनों को दूसरे रेस्टोरेंट में भी पसंद किया जाने लगा। नए सेठ ने अपने कारीगरों के टीम के साथ मिलकर नए नए व्यंजनों को बनाने में महारत हासिल करने लगा। दूसरे रेस्टोरेंट से करार का फायदा उनके व्यंजनों की बनाने की विधि समझने में हुई और फिर हाइब्रिड व्यंजन बनकर काफी लागत बचाई जाने लगी। रेस्टोरेंट बहुत तेज गति से आगे बढ़ने लगा। 1/2