रफ्ता रफ्ता वो मेरे हस्ती का सामां हो गये पहले जां, फिर जानेजां, फिर जानेजाना हो गये दिन-ब-दिन बढती गईं इस हुस्न की रानाइयां पहले गुल, फिर गुल-बदन, फिर गुल-बदामां हो गए #ज़ीनत 1975 #नाशाद ( संगीतकार ) #पुण्यतिथि 🙏 #तस्लीम_फ़ाज़ली गीत @ChitrapatP YTL👇 youtu.be/jcvnQfwLVJ8
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@ChitrapatP @DDNational @ysaumitra ख़ूबसूरत🌺🌺🙏
@ChitrapatP @ysaumitra Mehdi Hassan’s name missing in credits..