मोहब्बत की बस इतनी दास्तां हैं बहारें, बहारें चार दिन की फिर ख़िज़ा हैं 🦋 #बारा_दरी 1955 #ख़ुमार_बाराबंकवी गीतकार व शायर #पुण्यतिथि 💐 #नाशाद संगीत #लता_मंगेशकर_मो_रफी स्वर #चित्रपट📽️ @ChitrapatP @BhoolebisareGit @madhuleka @ysaumitra Ytl👇🏽 youtu.be/NRn8-0vZ-eo?si…
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