ham hue tum hue ki 'mir' hue us ki zulfon ke sab aseer hue ~Meer Taqi Meer
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@Rekhta आह को चाहिए इक उम्र असर होने तक कौन जीता है तेरी जुल्फ़ के सर होने तक मिर्ज़ा ग़ालिब
@Arif61916342 @Rekhta गुज़ारे चंद लम्हे जो तिरी जुल्फों के साए में। उसे फिर चांदनी से भी बड़ी तकलीफ़ होती है।। #नाशाद अर्जुनपुरी।।